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About The Book
Description
Author
चाहे योगासन हो या चिकित्सा केविभिन्न आयाम चाहे ज्योतिषशास्त्र गणित या साहित्य संगीत कला वास्तु के विभिन्न आयाम और चाहे विज्ञान व तकनीक भारत सदा से ही हर क्षेत्र में विश्व का सिरमौर रहा है। देववाणी संस्कृत को विश्व को सभी भाषाओं की जननी कहा जाता है।आज परमाणु शक्ति-संपन्न भारत ने जहाँ प्रथम प्रयास में ही मंगल तक को यात्रा पूरी की है वहीं औषधि निर्माण व निर्यात के क्षेत्र में विश्व का दवाखाना बन गया है ।रक्षा सहित प्रत्येक क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की प्राप्ति का लक्ष्य रखकर भारत ने तेजी के साथ अपने पग बढ़ाए हैं और शीघ्र हीदुनिया का दूसरा कारखाना बनने के लिए प्रयासरत है ।सर्वे भवन्तु सुखिन: की मंगल-कामना करने वाला भारत अब पुन: अपनी विश्वगुरु की छवि प्राप्त करने लगा है ।कोविड काल में विश्व के अनेक देशों को जहाँ निःशुल्क टीका उपलब्ध कराकर भारत ने बिना किसी भेदभाव के सबके कल्याण की कामना की वहीं आपातकाल में अनेक देशों की विभिन्न प्रकार से सहायता भी की । वसुधेव कुट्म्बकम्की अवधारणा व तदनुरूप आचरण ने आज फिर से भारत को विश्वगुरु के पद पर प्रतिष्ठित कर दिया है और भगवान् बुद्ध का अप्प दीपो भव नाद पुन: विश्व में गूँजने लगा है ।भारत के गौरवशाली अतीत को रेखांकितकर स्वर्णिम भविष्य का जयघोष कर हर भारतीय को गर्वित करने वाली पठनीय कृति।