Vismrit Qalam Ka Anhad Naad

About The Book

स्वाधीनता संग्राम भारतीय इतिहास का ऐसा कालखंड रहा है जिसमें सभी वर्ग के क्रांतिकारी जाति वर्ग पंथ और धर्म से ऊपर उठकर स्वतंत्रता के महायज्ञ में बलि हो गए। यह समर न केवल पीड़ा यन्त्रणा दंभ आत्मसम्मान तथा शहीदों के लहू को समेटे हुए है अपितु लेखकों और कवियों ने भी कलम से क्रांति करने में अपनी बखूबी भूमिका निभाई। कलम के इन सिपाहियों की रचनाओं ने न केवल आजादी की लड़ाई में चेतना का शंख फूँका अपितु भाषाओं के साहित्य को दृढ़तापूर्वक नवीन आयाम प्रदान किए जिसे कतई विस्मृत नहीं किया जा सकता। अत्यंत हतभागिता का विषय है कि इन साहित्यकारों के योगदान को विस्तृत रूप से अंकित नहीं किया गया। झाँकी-स्वरूप कुछ विशिष्ट व्यक्तित्व को छोड़कर सब अतीत के धुंधलके में गुम हो चुके हैं क्योंकि स्वतंत्र भारत के पुरोधाओं ने उस त्रासद घटना के समस्त क्रांतिकारी साहित्यकारों का पर्याप्त मूल्यांकन करने का कष्ट उठाना आवश्यक नहीं समझा।
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