VIVIDHTAON KA ASHACHARYA LOK

About The Book

कहना जरूरी है कि पूर्वाेत्तर भारत जनजातीय संस्कृति भाषा कला नृत्य संगीत और ठेठ मनुष्यता की प्रयोगशाला है। एक तरह से आश्चर्य की रंगस्थली। जहाँ वह बहुत कुछ दिखेगा जो शेष भारत के लिए लगभग अज्ञात है। व्यक्ति व्यक्ति में यहाँ वह हासिल होगा जिस पर थमकर चिंतन-मनन किया जा सकता है। पहाड़ियों फसलों वृक्षों और वनों की पूजा वह भी बिना किसी कर्मकांड के मामूली संकेत नहीं है। यह अवश्य भारत का अंग है आश्चर्यजनक ढंग से अनमोल भी किन्तु जिसे शेष भारत ठीक से जानता नहीं पहचानता नहीं न ही पूर्वाेत्तर को आत्मसात करने की आशिकी पालता है। यह पुस्तक जिज्ञासा चिंगारित करने की मात्र एक भूमिका है कि उठो आओ पूरब की ओर चलो। देखो ! जहाँ के अरुणाचल में अपने भारतवर्ष का पहला सूर्याेदय होता है। यहाँ के होकर कुछ वर्ष बिताओ तभी जान पाओगे कि पूर्वाेत्तर को जाने बगैर हमारे भारतीय मष्तिष्क के विकास का एक हिस्सा हमेशा के लिए अधूरा है। -- भरत प्रसाद
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