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About The Book
Description
Author
रज्जब को स्मरण हो आया कि पत्नी के बुखार की वजह से अंटी का बोझ कम कर देना पड़ा है और स्मरण हो आया गाड़ीवान का वह हठ जिसके कारण उसको कुछ पैसेव्यर्थ ही देने पड़े थे। उसको गाड़ीवान पर क्रोध था परंतु उसको प्रकट करने की उस समय उसके मन में इच्छा न थी। बातचीत करके रास्ता काटने की कामना से उसने वार्त्तालाप आरंभ किया— ‘गाँव तो यहाँ से दूर मिलेगा।’ ‘बहुत दूर। वहीं ठहरेंगे।’ ‘किसके यहाँ?’ ‘किसीके यहाँ भी नहीं। पेड़ के नीचे। कल सवेरे ललितपुर चलेंगे।’ ‘कल का फिर पैसा माँग उठना।’ ‘कैसे माँग उठूँगा? किराया ले चुका हूँ। अब फिर कैसे माँगूँगा?’ ‘जैसे आज गाँव में हठ करके माँगा था। बेटा ललितपुर होता तो बतला देता।’ ‘क्या बतला देते? क्या सेंत-मेंत गाड़ी में बैठना चाहते थे?’ ‘क्यों बे रुपए लेकर भी सेंत-मेंत का बैठना कहता है! जानता है मेरा नाम रज्जब है। अगर बीच में गड़बड़ करेगा तो यहीं छुरी से क फेंक दँूगा।’ रज्जब क्रोध को प्रकट करना नहीं चाहता था परंतु शायद अकारण ही वह भलीभाँति प्रकट हो गया। —इसी संग्रह से ऐतिहासिक लेखन के लिए प्रसिद्ध हिंदी के मूर्धन्य साहित्यकार बाबू वृंदावनलाल वर्मा की रहस्य रोमांच साहस और पराक्रम से भरपूर कहानियों का पठनीय संकलन।.