ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त पद्मश्री प्रतिभा राय की कहानियाँ सामाजिक बुराइयों और अन्याय की जमकर निंदा करती है। इनकी कहानियाँ जीवन की अंतरंग अनुभूतियों से सराबोर तथा मानवता के पक्ष में हमेशा तटस्थ होकर खड़ी दिखाई देती है। इस कहानी-संग्रह में इक्कीस कहानियाँ है। इन कहानियों की विभिन्न घटनाओं से लेखिका का प्रत्यक्ष या परोक्ष संबंध रहा है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो ये कहानियाँ उनकी अंतरंग अनुभूतियों से जुड़ी हुई है। इनमें से कोई भी कहानी पढ़ने के बाद उसे भुला पाना संभव नहीं। कहानी शुरू से ही पाठक को बाँधे रखती है। भाषा शैली कथ्य अभिव्यक्ति एवं मानवीय संवेदनाओं की दृष्टि से संग्रह की एक-एक कहानी इस बात की पुष्टि करती है कि देश काल प्राप्त भाषा और आत्माभिव्यक्ति की सीमाओं से मुक्त होकर सार्वजनिक व चिंरतन हो जाना ही एक अच्छी कहानी की परिभाषा है। यही वजह है कि आज न केवल देश में बल्कि विदेशों में भी प्रतिभा राय की कहानियों का एक विशाल पाठक-वर्ग दिखाई देता है। प्रतिभा राय भारतीय नारी की प्रतिष्ठा के प्रति भी निरंतर सजग रही है। सामाजिक अन्याय का खुलकर विरोध करने में इन्होंने कभी संकोच नहीं किया। मनुष्य की कमजोरियों को सहानुभूति-पूर्वक प्रकट करते हुए माननीय और आध्यात्मिक मूल्य बोध के सहज स्पर्श से पाठकों के मन को अभिभूत और उद्वेलित करना प्रतिभा राय की कथा- शैली की एक अन्य विशेषता है। पाठकों को समर्पित है प्रतिभा राय की कहानियों का यह नया गुलदस्ता ‘व्यास नदी की व्यथा’।.
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