नित्य निरंतर केवल पाठ मात्र से भी अनेक व्यक्तियों ने स्वयं के जीवन को बदलते हुए देखा है। जिन विपरीत भावनाओं से प्रभावित होकर हम जीवन को समस्या के रूप में ग्रहण करते हैं यह विपरीत भावना भगवद गीता के श्रवण मनन से समाप्त हो जाती है और हम जीवन में समस्या का समाधान ढूंढ सकते हैं। इस दृष्टि से यह व्यावहारिक गीता चिंतन की श्रंखला प्रकाशित की गयी है।
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