Wah Aadami Naya Garam Coat Pahinkar Chala Gaya Vichar Ki Tarah

About The Book

विनोद कुमार शुक्ल की कविता उस पूरे काव्यानुभव को एक विकल्प देती है जिसके हम अभ्यस्त हैं। हम जैसे सिर्फ़ एक क़दम उठाकर एक ऐसी दुनिया में आ जाते हैं जो बहुत बड़ी है जहाँ चाहें तो उड़ा भी जा सकता है। यह कविता आपको बदल देती है। आपके पढ़ने और आपके जीने दोनों की आदत को। वह पहले आपको एक अलग भाषा देती है फिर देखने का महसूस करने का एक अलग तरीक़ा। एक सामर्थ्य जो हमें अपने आसपास मौजूद तमाम चीज़ों के प्रति नए सिरे से जीवित कर देती है। विनोद कुमार शुक्ल न आपको विचार देते हैं न सन्देश बस दुनिया में होने का एक हल्का सरल और मानवीय ढंग देते हैं एक विज़न जहाँ वह सब ख़ुद चला आता है जिसे मनुष्यों पेड़ों हवाओं आसमानों आदिवासियों समुद्रों नदियों मिट्टियों पत्तियों चिड़ियाओं लड़कियों बादलों और मज़दूरों की इस दुनिया में होना चाहिए। ‘वह आदमी नया गरम कोट पहिनकर चला गया विचार की तरह’ विनोद कुमार शुक्ल का दूसरा कविता संकलन है जो 1981 में प्रकाशित हुआ था। काफ़ी समय से यह अनुपलब्ध था।
Piracy-free
Piracy-free
Assured Quality
Assured Quality
Secure Transactions
Secure Transactions
Delivery Options
Please enter pincode to check delivery time.
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.
Review final details at checkout.
downArrow

Details


LOOKING TO PLACE A BULK ORDER?CLICK HERE