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About The Book
Description
Author
About the Book: वो तुम मैं और कैंसर एक कैंसर ग्रस्त पीड़ित विचलित छीन्न-भिन्न परिवार की कथा है। कैंसर से एक व्यक्ति ही पीड़ित नहीं होता है वरन् परिवार तहस-नहस हो जाता है खासकर यदि व्यक्ति घर की कुंजी हो। सारस के जोड़े को तील-तीलकर मरता देखना शब्दों से परे है। न्युकलियर परिवार में ग्रहणी का रोगग्रस्त होने असामयिक मृत्यु से शापित परिवार का दुःख से हत्बुद्ध होना स्वाभाविक है। उच्चपदस्त वायुसेना अधिकारी स्थानांतरित होकर घोर अकेलेपन और पत्नि बिछोह से घर के एकान्त में बिन पानी तड़फती मछली होना असहनीय हो रहा था। आकाश में एक क्षण से भी कम समय में त्वरीत निर्णय क्षमता का स्वामी ऐसे में अपने आप से मजबूर था। तब डूबते को तिनके का सहारा मिला अपने को भूलाकर ध्यान बंटा। पर पत्निी से अलग किसी को अपनाना अपराध भाव उपजा रहा था। तिनके ने फिर से सम्हलने को प्रोत्साहित किया। शायद समय का मरहम दुःखों को घुंधलाकर सके। कैंसर से तिनका भी आहत हुआ। पर सन्तुलन बनाने का प्रयास किया। About the Author: कुवंर वियोगी - एक योगी सन्त गांव अगोर को बसाने वाले मियां जाफर सिंह के लगभग सातवीं पीड़ी के मियां जवाहर सिंह जो महाराजा गुलाब सिंह को जम्मू कश्मीर राज्य बनाने में मुख्य मददगार और महान् योद्धा रहे ग्रुप. कै. रणधीर सिंह उपनाम ‘कुवंर वियागी’ का जन्म अखनूर के पास चिनाब के बांये तट पर गांव अगोर जिला सांबा जम्मू में चार सितंबर उन्नीसोै चालिस में पुलिस इंस्पेटर ठाकुर पुरख सिंह के यहां हुआ था। प्रतिभावान कुवंर वियोगी एस.जी. एम राजपूत स्कुल के हाॅकी व फूटबाल के खिलाड़ी व कैप्टन भी रहे और 1955 में से प्रथम श्रेणी से मेैट्रीक की जी.सी.एम. साईंस कालेज जम्मू से बी.एस.सी शुरू की पर फाइनल में थल जल वायु सेना में चयन होने से शिक्षा छोड़नी पड़ी।