वो तुम मैं और कैंसर एक कैंसर ग्रस्त पीड़ित विचलित छीन्न-भिन्न परिवार की कथा है। कैंसर से एक व्यक्ति ही पीड़ित नहीं होता है वरन् परिवार तहस-नहस हो जाता है खासकर यदि व्यक्ति घर की कुंजी हो। सारस के जोड़े को तील-तीलकर मरता देखना शब्दों से परे है। न्युकलियर परिवार में ग्रहणी का रोगग्रस्त होने असामयिक मृत्यु से शापित परिवार का दुःख से हत्बुद्ध होना स्वाभाविक है। उच्चपदस्त वायुसेना अधिकारी स्थानांतरित होकर घोर अकेलेपन और पत्नि बिछोह से घर के एकान्त में बिन पानी तड़फती मछली होना असहनीय हो रहा था। आकाश में एक क्षण से भी कम समय में त्वरीत निर्णय क्षमता का स्वामी ऐसे में अपने आप से मजबूर था। तब डूबते को तिनके का सहारा मिला अपने को भूलाकर ध्यान बंटा। पर पत्निी से अलग किसी को अपनाना अपराध भाव उपजा रहा था। तिनके ने फिर से सम्हलने को प्रोत्साहित किया। शायद समय का मरहम दुःखों को घुंधलाकर सके। कैंसर से तिनका भी आहत हुआ। पर सन्तुलन बनाने का प्रयास किया।
Piracy-free
Assured Quality
Secure Transactions
Delivery Options
Please enter pincode to check delivery time.
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.