About the Book: संसार की अधिकतर जनसंख्या आज भी धर्म में आस्था रखने वालों की है । धर्म मनुष्य की अमूल्य धरोहर है । लगभग संसार के प्रत्येक देश में अनेक धर्म है । उस देश का प्राचीन इतिहास उसी धर्म की पवित्र पुस्तकों में आज भी विद्यमान है । प्राचीन इतिहास को जानने का एक मात्र श्रोत्र धर्म पुस्तकें ही हैं लेकिन आज अत्याधुनिक युग ( वैज्ञानिक युग ) में नई पीढ़ी धर्म से विमुख होती जा रही है । इसका सबसे बड़ा कारण धर्म के बारे में सही जानकारी न होना व पवित्र पुस्तकों को न पढ़ना है । इस पुस्तक का निर्माण मात्र स्वस्थ समाज व प्रेम भाईचारा उत्पन्न हो और समाज में फैली गलतफहमियां और भ्रम दूर हो आपस में प्रेम बढ़े यही आपसे उम्मीद है कि इस पुस्तक को पढ़कर लाभ उठाएंगे और समाज में एक स्वस्थ मानसिकता बनाएंगे About the Author: अपना व्यक्तिगत परिचय मेरा नाम अब्दुल वहीद है मेरे पिता का नाम स्वर्गीय हाजी उबैदुर्रहमान है व माता का नाम जैबुन्निसा है । मैंने बचपन से ही वैज्ञानिक विचारधारा को पसंद किया है और शांत स्वभाव व पुस्तकों से लगाव रहा है । जिससे मेरी रोज जिज्ञासा रुचि निरंतर नए - नए खोजो को जानकारी में प्रयुक्त रहा है । मैं BSc करते समय पालीटेक्निक में सेलेक्शन हो गया था लेकिन दुर्भाग्यवश अधूरा रह गया था क्योंकि पिता और भाई का सर्वगवास हो गया था । मेरे पिता जी की दो बातें जो मेरे जीवन के लिए अत्यंत अनमोल है प्रथम - इमानदारी से कमाओ झूठ का सहारा मत लो दूसरा अन्न की इज्जत करो और जितना खाना हो उतना ही लो । इसलिए घर की जिम्मेदारी फिर बाद में विवाह हो जाने के कारण शिक्षा अधूरी रह गई । फिर भी हिम्मत नहीं हारा और आज आपके सामने मेरे विचारों के रूप में पुस्तक उपलब्ध है । यदि कोई जानकारी अधूरी रह गई हो तो कृपया जरूर अवगत कराये । धन्यवाद ।
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