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About The Book
Description
Author
सोचिये एक बड़ी सी चार दीवारी के दायरे में अपने जीवन के 22 बरस दे देना बच्चों को तराशने में ताकि आगे चलकर आने वाले वक्त में वो देश और समाज के लिए कुछ अच्छा कर सकें ये किसी साधना से कम तो नहीं। आवासीय विद्यालय या बोर्डिंग स्कूल की अपनी एक अलग ही दुनिया होती है जो बाहरी दुनिया से देखने पर यूँ दिखती है जैसे जिंदगी वहाँ एक रूटीन को ही अमल में लाते हुए ढर्रे से चल रही हो कि जैसे वहाँ नया कुछ भी नहीं सुबह से शाम और शाम से फिर सुबह तक जैसे जिंदगी वहाँ सिर्फ एक टाइम टेबल को अमल में लाती हो लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। एक टाइम टेबल से परे वहाँ की दुनिया मिर्ची सी तीखी अचार सी खट्टी और शहद सरीखे मीठी बहुत है। वहाँ की कहानियाँ वहाँ के बच्चों की जुबानी तो आपने अक्सर सुनी होगी लेकिन इस दफे इन किस्सों को पढ़िए वहाँ की शिक्षिका अरूणा राठौर के लिखे शब्दों में।