संघर्षों के शायर जितेन्द्र कुमार नूर आज़मी का पहला शेरी मजमूआ यादों के बहाने पाठकों के हाथों में है। आप ख़ुद अंदाज़ा लगा सकते हैं इस कम उम्री में भी नूर ने शायरी की किस ऊँचाई को छू लिया है। नूर दो वर्षों से मेरे साहित्यिक सम्पर्क में रहे हैं। इनकी शायरी का एक-एक लफ़्ज़ मेरी पैनी निगाहों से गुज़र चुका है। मैं इस बात की सनद देता हूँ कि सिर्फ़ चन्द बरसों मे ही नूर वहाँ तक पहुँच गये हैं जहाँ तक कोई शायर कड़ी मेहनत और मुसलसल मुताला के बाद पचास वर्षों से पहले नहीं पहुँच पाता है। इनके अन्दर भाषा और शायरी की बारीकियों को सीखने की क्षमता जुनून की हदों तक है। बहर और अरूज़ पर भी इनकी अच्छी पकड़ है। हिन्दी के तो ये असिस्टेंट प्रोफेसर ही हैं लेकिन उर्दू के शब्दों के प्रयोग पर इन्हें महारत हासिल है। इनकी कुछ ग़ज़लें ऐसी भी हैं जिनमें उर्दू के मुश्किल अल्फ़ाज़ ऐसी ख़ूबसूरती से इस तरह इस्तेमाल किये गये हैं जैसे किसी कोहना मश्क़ उस्ताद शायर की लिखी हुई ग़ज़ल हो। अपने शिष्यों में नूर से इस लिए मैं ज़्यादा ख़ुश रहता हूँ कि किसी ग़लती को समझाने के बाद उसे वो दोबारा नहीं करते और उसे अच्छी तरह हमेशा के लिए ज़ेह्न नशीन कर लेते हैं। बचपन से ही नूर की ज़िन्दगी संघर्षों में गुज़री है। समाज के निम्न वर्ग से सम्बन्ध रखने वालों को किन-किन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है ये कहने की बात नहीं है। नूर की शायरी उनकी ज़िन्दगी का सच्चा आईना है जो कभी झूठ नहीं बोलता है। उनकी शायरी एक तरफ़ तो तफ़रीह का सामान मुहैय्या कराती है तो दूसरी तरफ़ समाज को एक सृजनात्मक संदेश भी है। ज़ुल्म के ख़िलाफ़ आवाज़ पिछड़ों और ग़रीबों का शोषण सामाजिक ऊँच-नीच और देश के मौजूदा माहौल में फैली हुई बेचैनियाँ आदि उनकी शायरी के मूल भाव हैं। इनके काव्य में सौन्दर्य पक्ष जितना मज़बूत है उतना ही कला पक्ष भी सुदृढ़ है। हुस्न और इश्क़ की मुख़्तलिफ़ कैफ़ियात के बयान में भी वो किसी से पीछे नहीं रहे। उनकी शायरी में रूमानियत बहुत कम पायी जाती है शायद वो इसे ज़ेह्न की अय्याशी समझते हैं। नूर की शायरी के बहुत सारे पहलू अभी बाकी हैं जिनका ज़िक्र इस छोटे से मज़मून में सम्भव नहीं है। वक़्त मिला तो इनके दूसरे मजमूए में विस्तार से लिखूँगा। नूर में अपार सम्भावनाएँ छुपी हुई हैं। मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास भी है कि भविष्य में साहित्य के क्षितिज पर यह कवि ध्रुव तारा बनकर चमकेगा। इनके पहले शेरी मजमूए यादों के बहाने के लिए नूर को दिल से दुआ के साथ मुबारकबाद देता हूँ और ये उम्मीद करता हूँ कि मजमूआ साहित्य जगत में हाथों हाथ लिया जाएगा और अवाम में भी इसे क़द्र की निगाहों से देखा जाएगा
Piracy-free
Assured Quality
Secure Transactions
Delivery Options
Please enter pincode to check delivery time.
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.