इस रोचक उपन्यास की कहानी एक बैंकर के इर्द-गिर्द घूमती है नाम लाल मेहरोत्रा-जिसके दिमाग का झुकाव व मानसिक रुझान भ्रष्टाचार के प्रति है लेकिन वह अपने दोस्तों और अपने नजदीक के लोगों की भलाई के लिए हर कुछ करने के लिए लालायित भी रहता है। उसका एक दोस्त है मणीरत्नम वो भी एक मजेदार आदमी है जो प्रारम्भ से लेकर लाल मेहरोत्रा की शव यात्रा तक उसकी सेवा करता है- यहां तक कि दाह-संस्कार के बाद के सारे कर्म-कांड भी वही संपन्न करता है। इस उपन्यास में हालांकि कोई शक्तिशाली केंद्रीय चरित्र नहीं है और यही बात इस उपन्यास को मजेदार भी बनाता है- एवं पाठक इस बात का आनंद उठा सकते हैं कि किस तरह से दोस्त आपस में एक दूसरे के साथ दिमागी खेल खेला करते हैं।
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