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About The Book

युवा कथाकार विक्रम सिंह की कहानियों ने साहित्य जगत के साथ-साथ पाठकों का ध्यान भी अपनी ओर खींचा है। वे कथा लेखन के माध्यम से हमेशा नये सामाजिक अनुभवों और समाज तथा जीवन से जुड़े ऐसे प्रश्नों को लेकर सामने आते हैं जिनसे देश की बहुत बड़ी आबादी जूझ रही है। यह उपन्यास भी गाँव शहर प्रेम व समाज हर क्षेत्र को कवर करता है। विक्रम मनोरंजन के लिए साहित्य नहीं रचते बल्कि वे पढ़े-लिखे वर्ग को समाज का सही चेहरा दिखाने के लिए लिखते हैं। वे उन सवालों को सामने रखते हैं जिनसे साक्षात्कार किये बगैर हम एक बेहतर देश या समाज का सपना साकार नहीं कर सकते। अपने नये उपन्यास यारबाज में एक तरफ़ वे मध्यमवर्गीय आबादी के युवा वर्ग की रोजी-रोटी की दिक्कतों को सामने लाते हैं वहीं दूसरी तरफ़ मौजूदा शिक्षा व्यवस्था और राजनीति पर भी एक बहस खड़ी करते हैं। एक तरफ़ कड़ी मेहनत से पढ़ाई-लिखाई करने के बावजूद एक अदद नौकरी के लिए बहुत सारे नौजवान मारे-मारे फिर रहे हैं वहीं दबंगई और येन-केन-प्रकारेण सफ़लता राजनीतिक मूल्य के रूप में स्थापित होती जा रही है। हालांकि यह उपन्यास किसी नकारात्मकता को स्थापित नहीं करता बल्कि कथाकार यथार्थ की परतों को उधेड़ते हुए समाज में बची सकारात्मकता और मनुष्यता को रेखांकित करता है। विक्रम सिंह की रचनाशीलता की यही ख़ासियत है कि वे जटिल यथार्थ की रचना करते हुए भी पाठकों को मनुष्यता को बचाने और बढ़ाने के लिए प्रेरित करते हैं। एक युवा लेखक के तौर पर यह उनके संदर्भ में ख़ास रेखांकित करने वाली बात है। -योगेश मुंजाल अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक मुंजाल शोवा लिमिटेड (हीरो ग्रुप)
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