जब-जब सुनहरे यादों की लहरें मेरे पास आती हैं तब-तब मैं कविता के रस में डूब जाती हूं । उन सुनहरे पलों को याद कर उन हसीन लम्हों को याद कर उन यादों में खोकर मैं कविता का सृजन करती हूं । हम सबको सपनों की नगरी बड़ी ही मनमोहक लगती है लेकिन जब हम हकीकत में होते हैं तो वह वक्त के परिंदों संग बंधी होती है । बचपन जवानी और बुढ़ापे के अनेक रंग होते हैं और सब रंगों की अपनी-अपनी परिभाषा होती है । जब हम प्रीत के रंग में रंगे होते हैं तो यह जीवन हमें रंगीन प्रतीत होता है और हमारे जीवन में इंद्रधनुषी रंगो जैसी रंगोली बन जाती है । जब-जब यादों की सेज मेरे पलकों में बिछ जातीं है तब-तब पल दो पल के भी साथ मेरे दिल में समा जातीं है और कविता के शब्दों को जन्म देती है । यादों के समुद्र में बहती है मेरी कविताएं जब भाव विभोर होकर मन से विसफोटित होती है शब्द गुच्छ जो हर्षित होकर हृदय से निकलती हुई सच्ची अनुभूति को प्रदर्शित करती हुई दिल के उद्गारों से सज जातीं है । विचारों की रोशनी से हृदय प्रकाशित होता है और जीवन के सुख-दुख के पहिए शरीर रूपी गाड़ी का बटुहिया होता है । हम कवियों की दुनिया में निश्छल प्रेम प्रवाहित होता है जो जग के सुने मन के कोने में प्रसन्नता के सुगंध बरसा जाता है । सफलता और असफलता के फेर में कविताएं रस बनकर बहने लगतीं है । लय बद्ध कविताओं से महफ़िलें सजाने की कोशिशें करते हैं हम। कवि सम्मेलनों में बढ़-चढ़कर भी जाती हूं । जग में फैली सुंदरता को देख मन मेरा हर्षित होता है और हर कविता में प्रकृति की छटा बिखर जाती है । ज्वलंत मुद्दों संग नारियों की दशा और दिशाएं हर कविता में प्राण वायु भर देती हैं । जननी जन्मभूमि के प्रेम और सम्मान में कितने कविताएं समर्पित होती हैं । देश की माटी की खुशबू भी कविता में सोंधी सुगंध भर देती है ।बादल जब फफक-फफक कर रोते हैंतब धरती संकट में आ जाती है ।बादल जब गुमसुम उदास होते हैंतब धरती की निगाहें सुनी पड़ जाती हैं ।कुछ ख्वाहिशों को दबाया है मैंने और कुछ को मुस्कुराहटों में छुपाया है । उन खोए हुए सपनों और दर्द भरे लम्हों को कविता में सजाया है मैंने । कुछ तूफान वक्त ने थामे हैं कुछ बरसात बन बरस पड़े हैं । आंसुओं के समुद्र में किनारा मिलना नहीं था आसान उलझनों के राहों में कोशिशें करना था मुझे बेहिसाब तब समझ आया कि जिंदगी नाम है जिसका जंग जीतना है हमें जनाब । मैं कविता की दुनिया में कदम रख कर बहुत ही आनंदित हूं और जब कविताओं की धारा मेरे हृदय से विसफोटित होती है तो मैं उन्हें पन्नों पर शब्द बनाकर संजोती हूं और आपके समक्ष रखती हूं ।काव्य की पगडंडियों में चलते हुएन जाने कहां गुम हो जाती हूंहंसी वादियों और फिजाओं मेंगुनगुनातीं हूंबहते हैं धार अंतर मन के कोने सेबजते हैं तार हृदय के झंकार सेभूल जाती हूं वे पलजख्मों में लगे मरहम सीवक्त के पहलुओं कोबांधें लिखती हूंबस लिखते ही रहती हूं......
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