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About The Book
Description
Author
दीयों में तेल डालने का समय है में कुल पचास कविताएँ हैं। महाभारत के वन पर्व में युधिष्ठिर और यक्ष के सवाल-जवाब आते हैं जिनको यक्ष-युधिष्ठिर संवाद भी कहा जाता है। उस समय सवाल केवल पांडवों के जीवन का था और युधिष्ठिर की योग्यता ने अपने भाईयों के प्राण बचा लिए। उसी तरह मनोज शर्मा ने यह दीयों में तेल डालने का समय है कविता के माध्यम से प्रकाश उम्मीद संभावना विश्वास और जिजीविषा को बचाने का काम किया है। यक्ष का यह कहना- मनोज तो कविता में तेल लेकर आओ दरअसल चुनौती दायित्व और संदेश है। अंधकार के खतरनाक समय में ज्योाति में तेल डालने की बात केवल कवि ही कर सकता है। इस कविता का मूल स्वर पूरे संग्रह का प्रतिनिधित्व करता है। ... ...हिन्दी कवि कमल जीत चौधरी के शब्दोंं में कहा जाए तो मनोज को पढ़ते हुए पाठकों को कटा हुआ पेड़ नहीं; पुरूष की कलम औरत की नाव और बच्चे की बांसुरी याद आएगी। हालांकि मौजूदा समय शिक्षा से ज्ञान व गरिमा नदी से तृप्ति व बहाव और बचपन से मासूमियत व संगीत गायब करने का समय है। आज के दौर में जब शिक्षक पढ़ाने के अलावा बाकी सब काम कर रहे हैं नदियाँ पानी के अलावा बाकी सब लिए हुए हैं और बपचन बेसुरा हो सब कुछ ढो रहा है ऐसे में मनोज शर्मा कलम नाव और बाँसुरी को बचाने में लगे हुए हैं। ---कुमार कृष्ण शर्मा