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About The Book
Description
Author
इस संग्रह की कविताएं ‘ब्रेव’ कविताएं हैं। यकीनन ‘ब्रेव’ कहना कोई साहित्यिक पैमाना नहीं तो क्या मैं अंशु की ही तर्ज़ पर कह दूँ ‘यह साहित्य नहीं है तथागत!’। साहित्य और आलोचना के लिए इसके क्या निहितार्थ होंगे मुझे सविस्तार बताने की आवश्यकता नहीं। ये और बात है कि अंशु को इससे फर्क नहीं पड़ता पड़ना भी नहीं चाहिए। आखिर में इन कविताओं के बारे में मुझे बस इतना ही कहना है कि इन्हें अंशु ने लिखा नहीं भोगा है और ऐसा करते हुए वे कविता और दुःख की अनंतस्पर्शी रेखा पर कई अंधकार-वर्षों तक फिसलते चले गए हैं। बतौर पाठक हम कम-से-कम उन जैसे कवि को पुकारने की नीयत तो रख ही सकते हैं---