“मैथिलीशरण गुप्त की ‘यशोधरा’ एक स्त्री की अदम्य धैर्य गहन प्रेम और आत्मिक बल की कथा है। यह पुस्तक हमें यशोधरा के जीवन के संघर्ष और त्याग के पलों में ले जाती है जब वह अपने प्रिय और धर्म के बीच संतुलन बनाए रखती है।” “यशोधरा केवल व्यक्तिगत पीड़ा और प्रेम की कहानी नहीं है; यह स्त्री की गरिमा साहस और आंतरिक शक्ति का प्रतीक है। प्रत्येक पृष्ठ पर उसके मनोभाव और संवेदनाएँ जीवंत हो उठती हैं जो पाठक को उसकी दुनिया में समाहित कर देती हैं।” “यह काव्यात्मक यात्रा हमें याद दिलाती है कि सच्ची शक्ति केवल शारीरिक नहीं बल्कि मानसिक और भावनात्मक दृढ़ता में निहित होती है। यशोधरा का चरित्र प्रेम त्याग और स्त्रीत्व की उत्कृष्ट छवि प्रस्तुत करता है जिसे पढ़ते हुए हर पाठक प्रभावित और प्रेरित होता है।”
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