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गिरीश कर्नाड ने इस नाटक में पारिवारिक द्वेष को भी अलग-अलग रूपो में पेश किया है जैसे ययाति और शर्मिष्ठा के प्रेम प्रसंग को सुनकर उनकी पत्नी देवयानी घर छोड़कर चली जाती है। नाटक में देवयानी और ययाति के संबंधों के उतार-चढ़ाव और उनके जीवन में हो रहे नैतिक मूल्यों के पतन को दर्शाया गया है. About the Author गिरीश कर्नाड भारत के जाने-माने समकालीन लेखक अभिनेता फ़िल्म निर्देशक और नाटककार थे। कन्नड़ और अंग्रेजी भाषा दोनों में इनकी लेखनी समानाधिकार से चलती थी। 1998 में ज्ञानपीठ सहित पद्मश्री व पद्मभूषण जैसे कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों के विजेता कर्नाड द्वारा रचित तुगलक हयवदन तलेदंड नागमंडल व ययाति जैसे नाटक अत्यंत लोकप्रिय हुए और भारत की अनेक भाषाओं में इनका अनुवाद व मंचन हुआ है|