अफ़ेयर से एक्सट्रा-मेैरिटल अफ़ेयर की जुनूनी दास्ताँ वीर जिसने अपनी लाइफ़ में बहुत गलत काम किए लेकिन जब उसे प्यार हुआ तो वीर अपने प्यार के साथ वफ़ादारी कर बैठा। वीर ने जब पहली बार माया को देखा था बस उसी पल से वो माया का हो चुका था और उसे अपना मान चुका था। वीर और माया दोनों की लाइफ़ में बहुत मुश्किले आई और अंतत: वीर को अपना प्यार हारता हुआ दिखाई दिया और उसे मिला केवल धोख़ा। इस धोख़े के बाद वीर की ज़िंदगी बदल गई और धीरे-धीरे नशे में डूबने लगा। माया जिसका नाम सुनते ही दिल में जो छवि बने उससे भी कहीं ज्यादा खूबसूरत। माया जब नीले रंग का सूट पहनती थी तो वीर उसकी खूबसूरती को निहारता रहता था। माया और वीर दोनों प्यार में इस कदर डूबे कि फिर सारी हदें पार करने के बाद भी एक न हो पाए। माया अपने दिल के हाथों मजबूर होकर वीर की लाइफ़ में दोबारा लौटी और ये प्यार अफ़ेयर से एकस्ट्रा-मेैरिटल अफ़ेयर में तब्दील हो गया। क्या दोनों इस एकस्ट्रा-मेेेैरिटल अफ़ेयर के चलते हुए दोनों अपनी मंजिल तक पहुँच पाए? क्या दोनों ने जो सपने देखे थे वो पूरे हो पाए? क्या माया धोख़े के इल्ज़ाम से बरी हो पाई?
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