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About The Book
Description
Author
योग गुरु स्वामी रामदेव—अशोक राज योग के पुनर्जागरण व भारतीय नवजागरण के पुरोधा के रूप में स्वामी रामदेव आज संपूर्ण विश्व में चर्चित हैं। वे योग और प्राणायाम के अपने अनोखे कार्य द्वारा प्राणघातक बीमारियों जैसे—कैंसर एड्स सहित लगभग सारे रोगों के उपचार का दावा करते हैं। आम जनता के स्वास्थ्य और संस्कार में सकारात्मक परिवर्तन करने के उनके आह्वान के परिणामों से सब चमत्कृत हैं। इसीलिए आश्चर्यजनक रूप से बाबा रामदेव ने न केवल जन-साधारण के बीच बल्कि देश के बुद्धिजीवी वर्ग ‘कॉरपोरेट विशेषज्ञों वैज्ञानिकों चिकित्सकों और देश के कई वामपंथी-चरमपंथियों के बीच भी अपना विशेष स्थान बना लिया है। आश्चर्य यह है कि राष्ट्रीय और वैश्विक आध्यात्मिक पुनरुत्थान के नए विचारक के रूप में बाबा रामदेव के अभ्ढ़युदय के बावजूद उन्हें ‘अकादमिक’ चर्चाओं में अभी अपना स्थान नहीं मिला है। यह कृति उस खाई को भरने का प्रयास है। यह बाबा रामदेव के निर्माण विवादों के साथ-साथ उनकी चामत्कारिक सफलता भारी जन-उत्साह एवं प्रशंसा का विश्लेषण है। ‘स्व से पहले राष्ट्र’ ही स्वामी रामदेव के जीवन का मूलमंत्र है। स्वदेशी और स्वदेश-प्रेम के प्रति आमजन को जागरूक करने के उनके प्रयासों को पूरे समाज का भारी समर्थन मिला है। यह कृति उनके राष्ट्रवादी चिंतन और भय व भ्रष्टाचार के अनाचार के विरुद्ध आक्रोश को विवेचित करने का विनम्र प्रयास है। स्वामी रामदेव के चिंतन और परिवर्तनकारी उद्देश्य एवं कार्यकलापों को जानने-समझने में सहायक एक संपूर्ण जीवन-गाथा।.