Yog Vigyan


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About The Book

भारतीय मनीषियों ने सतत चिन्तन मनन और आध्यात्मिक ज्ञान के आधार पर मानव जीवन के कल्याण हेतु अनेक विधियाँ विकसित की हैं उन विधियों में से एक है–‘योग’ । योग वह विद्या है जो हमें स्वस्थ जीवन जीने की कला सिखाती है और असाध्य रोगों से बचाती है । यह हमें अपने लिए नहीं बल्कि सबके लिए जीने का सन्देश देती है । योग के अनेक भाग माने जाते हैं–राजयोग हठयोग कुंडलिनीयोग नादयोग सिद्धयोग बुद्धियोग लययोग शिवयोग /ध्यानयोग समाधियोग सांख्ययोग मृत्युंजययोग प्रेमयोग विरहयोग भृगुयोग ऋजुयोग तारकयोग मंत्रयोग जपयोग प्रणवयोग स्वरयोग आदिय पर मुख्यत: अध्यात्म के हिसाब से तीन ही योग माने गए हैं–कर्मयोग भक्तियोग और ज्ञानयोग । शास्त्र के अनुसार योग के आठ अंग हैं–यम नियम आसन प्राणायाम प्रत्याहार धारणा ध्यान एवं समाधि । इनमें प्रथम चार–यम नियम आसन और प्राणायाम हठयोग का अंग हैं । शेष चार–प्रत्याहार धारणा ध्यान एवं समाधि राजयोग हैं । प्रस्तुत पुस्तक में अनुभवी योगाचार्य चन्द्रभानु गुप्त द्वारा योग के व्यावहारिक और सैद्धान्तिक पक्षों की सम्पूर्ण जानकारी के अलावा सूर्य नमस्कार चन्द्र नमस्कार स्वरोदय विज्ञान मुद्राविज्ञान के अतिरिक्त विशेष रूप से सामान्य रोगों के लिए उपचार (आहार आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक) पर भी जानकारी दी गई है जो आम तौर पर योग की अन्य पुस्तकों में नहीं होती ।
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