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About The Book
Description
Author
अरविन्दो को जानने के लिए यह योग्यता जरूरी है।....<br>श्री अरविन्दो को कारागार में श्रीकृष्ण के दर्शन क्यों हुए? कैसे क्रांति का मंत्रदाता योग का पर्याप्त बना? यह कैसे सिद्ध किया कि मनुष्य ही ईश्वर है यदि वह अपने को पहचान सके? पर अपने को वह कैसे पहचाने? इसी गूढ़ रहस्य से यह अन्तर्गाथा पर्दा उठाती है और वह आनंद की यात्रा का सहभागी बन जाता है।<br>सकार की यही निराकार यात्रा ईश्वरत्व के अनुभव से जोड़ने लगती है पर कैसे ? श्री अरविन्दो के जीवन की उत्तर-कथा के इस दूसरे भाग को पढ़कर ही आप जान पाएंगे। दो खंडों में यह उपन्यास सभी के लिए एक जरूरी रास्ता है जो विश्वास शांति सुख और आनंद की अनुभूति हर पल कराता है। वह आनंद जो आपके अंतर से विकसित होकर आपको सत्य से परिचित कराता है।