परमहंस योगानंद की यह आत्मकथा पाठको और योग के जिज्ञासुओं को संतों योगियों विज्ञान और चमत्कार मृत्यु एवं पुनर्जन्म मोक्ष व बंधन की एक ऐसी अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाती है जिससे पाठक अभिभूत हो जाता है। सहज-सरल शब्दों में भावाभिव्यक्ति पठनीय शैली गठन कौशल भाव-पटुता रचना प्रवाह शब्द सौन्दर्य इस आत्मकथा को एक नया आयाम देते है और पुस्तक को पठनीय बनाते है। एक सिद्ध पुरुष की जीवनगाथा को प्रस्तुत करती यह पुस्तक जीवन दर्शन के तमाम पक्षों से न सिर्फ हमें रूबरू कराती है बल्कि योग के अद्भुत चमत्कारों से भी परिचित करवाती है।
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