सत्य घटना पर आधारित यह उपन्यास युद्ध की विभीषिका और सफर की अनिश्चितता को केंद्रित करती हुई वर्तमान वैश्विक युग की स्थिति को दर्शाता है।डा हनीफ की यह सत्रहवीं रचना सचमुच मील का पत्थर साबित होगाऐसा प्रतीत होता है। युद्ध और सफर के मध्य पनपती हुई सेवा और प्रेम को परिभाषित करती यह रचना पाठकों को एक नया आयाम देगीऐसा विश्वास है। इनकी हरेक पंक्ति डायलॉग और दर्शन को दर्शाती है। देखें;एम डीमुझे माफ करना मैं तुम्हारे साथ नहीं रह सकती हूंक्योंकि मैंने तुम्हारी सेवा की तुम्हारी जान बचाई और तुम्हें इनकी जानकारी हो गई। अगर मैं तुम्हारे साथ रह जाती हूं तो तुम हमेशा हमेशा के लिए मेरा गुलाम बनकर रहोगे और मैं तुम्हें बादशाह के रूप में देखना चाहती हूं।एम डीमुझे जो पाना थावो मैं पा गई और जो खोना थावो खो रही हूं। (..पुस्तक से)
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