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About The Book
Description
Author
यह एक ऐसे महापुरुष की संघर्ष-कथा है जो कठिनाइयों में भी आत्मा से निर्देशित होते रहे। वह इंग्लैंड में पढ़े। आई.सी.एस. की परीक्षा पास की पर देश-भक्ति के जुनून में पद ठुकरा दिया। भारत लौटकर बड़ौदा शासन के ऊंचे वेतन को छोड़कर राष्ट्रीय कॉलेज में थोड़े वेतन पर प्राचार्य हो गए । वन्दे मातरम कलकत्ता से निकाला जो क्रांतिकारियों और देश-भक्तों के लिए प्रेरणा स्रोत बना। जिसके कारण अंग्रेज सरकार उन्हें जेल भेजने के लिए जी-जान से जुट गई। श्री अरविन्दो स्वयं क्रांतिकारी थे विचार से पूर्ण कर्मयोगी थे। वह जीने की अदृश्य दिशाएं खोलने का आवाहन करते हैं -<br>आओ मुझे जानो! तमस से बाहर आकर सूर्य से चमको !!<br>यह तीर्थ-यात्रा है महर्षि अरविन्दो के जीवन की पूर्व-कथा की उत्तर- कथा के लिए पढ़िए दूसरा भाग अंतर्यात्रा ।