Zen Ki Ghoshna : Swayam Se Mukti (ज़ेन की घोषणा : स्वयं से मुक्ति)

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बुद्धत्व कभी भी समय या स्थान में नहीं घटता। कब और कहाँ तो समय और स्थान हैं। यह तो तब घटता है जब तुम कहीं भी नहीं होते कुछ भी नहीं होते। वह तो समय के पार शाश्वतता में घटता है। पश्चिम के सभी बुद्धिजीवी जेन में अत्यधिक दिलचस्पी लेने लगे हैं लेकिन उनकी रुचि बुद्धिगत ही है। उन्होंने ज़ेन पर महान पुस्तकें लिखी हैं और अपने इस घोषणापत्र में मैं लगभग प्रत्येक उस व्यक्ति का जिक्र करूंगा जिन्होंने पश्चिम में जेन पर पुस्तकें लिखी हैं। ये सभी बुद्धिमान लोग सुन्दर पुस्तकें तो लिख सकते हैं लेकिन ये ज़ेन में डूबे हुए व्यक्ति नहीं हैं उनके पास जेन सद्गुरुओं जैसा कुछ भी नहीं है।<br>यह घोषणापत्र इसलिए बेहद जरूरी है जिससे पूरे विश्व को यह स्पष्ट हो जाए कि जेन बुद्धि का कोई कार्य व्यापार न होकर अमन की शून्यता है। वह है सर्वोच्च खिलावट। मैं ज़ेन को सारभूत रूप से स्वयं से मुक्त होना कहता हूँ। तुमने दूसरी मुक्तियों के बारे में सुना होगा लेकिन स्वयं से मुक्त होना ही अंतिम मुक्ति है। कुछ न होते हुए अस्तित्व को स्वयं अपनी सहजता और अपने सारे सौंदर्य के साथ अभिव्यक्त होने की अनुमति देना लेकिन यह न तुम हो और न मैं हूँ यह है-स्वयं अस्तित्व। यह स्वयं नृत्य करता हुआ पूरा जीवन ही अस्तित्व है। यही है जेन की घोषणा और उद्देश्य स्वयं अपने से ही मुक्ति।<br>-ओशो
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