जीवन में आने वाले उतार चढ़ाव और अपने व्यक्तिगत अनुभवों को शब्दों के मोती बनाकर माला में पिरही। 'जिन्दगी' मेरा कविता संग्रह मेरे मन से निकले भाव हैं जिनमें जिन्दगी मौत रिश्तों और लोगों को परिभाषित किया गया है। पहली बार जीवन में जब प्रेम का एहसास हुआ उसे भी मैंने शब्दों में उतारा। 'उन हाथों से' 'साँसों में बसे हो' और 'पहचान हमारी तुमसे है' इन कविताओं में आप उसे महसूस कर सकते हैं। कविता लिखने के मेरे सफर में एक वक्त ऐसा का भी आया जब 14 वर्षों तक मैंने कुछ नहीं लिखा पर अचानक अपने पिता की असमय और अप्राकृतिक मृत्यु ने एक बार फिर मेरे हाथों में कलम दिया और उनके लिए एक कविता लिखी जो 'पिता' शीर्षक के साथ इस संग्रह में है। उसके बाद एक बार फिर मेरा लिखने का सफर अनवरत चलता रहा जो आज भी जारी है। परिवार के बहुत से सदस्यों की असमय हुयी मृत्यु ने मुझे भीतर से झकझोर दिया और उन्हीं भावों को व्यक्त करने के लिए 'मौत' 'मौत या ज़िन्दगी' और 'जीवन को कहते हैं कठिन' जैसी कविताएं लिखी। अपने मन की बहुत सी बातें जिन्हें बोलना कठिन लगा उन्हें मैंने शब्दों में डालकर कविता के रूप में लिखा। इस कविता संग्रह में मैंने जीवन के सभी पहलुओं को अपनी कविता के माध्यम से छुआ है। आशा करती हूँ कि आप भी अपने जीवन का अक्स मेरे इस कविता संग्रह 'जिन्दगी' में महसूस कर पाएंगे। इसी उम्मीद के साथ मैं सभी पाठकों को यह पुस्तक समर्पित करती हूँ। अभी तक मेरी कविताएं हिन्दी उर्दू का सम्मिलित रूप हैं। इसमें भाषा से अधिक ज़ोर भावों पर है जो मेरे निजी अनुभवों से निकले हैं। आप सभी पाठकों का स्नेह मुझे और मेरे शब्दों को मिले इस कामना के साथ आप सभी के लिए मेरी ओर से-
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