ज़िन्दगी में स्टेशनों की ही तरह कई पड़ाव आते हैं। छोटे-बड़े! अमहत्वपूर्ण-महत्वपूर्ण। ज़िन्दगी किसी पड़ाव से शुरू होकर किसी पर खत्म हो जाती है। “ज़िन्दगी एक्सप्रेस“ गीता नाम की लड़की के पड़ाव की कहानी है। ऐसा पड़ाव जिसने उसे तेजाब से जलकर गलती हुई लाश की तरह बना दिया। इस दौरान उसने ’ईश्वर’ से तिनके भर की प्रार्थना नहीं की। गीता की कहानी उन सभी लड़कियों की कहानी है जिन्होंने खामोश रहना मुनासिब नहीं समझा। जो लड़ी अपनी ही जैसी तमाम उन लड़कियों के लिए जो रह जाती हैं कमरे के किसी कोने में छुपी हुई डरी हुई मरी हुई।.
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