“ज़ुल्मतों के दौर में” हमारे समय की सच्चाइयों और अंतर्विरोधों का दस्तावेज़ है। डॉ. सलमान अरशद के 54 निबंध धर्म जाति लिंग राजनीति और पूँजीवाद जैसे मुद्दों पर तीक्ष्ण नज़र डालते हैं। यह किताब कठिन समय में सच बोलने का साहस रखती है विसंगतियों पर चोट करती है और एक बेहतर शोषणमुक्त समाज का सपना जगाती है। डॉ. सलमान अरशद दर्शनशास्त्र में पीएचडी हैं और तीन दशकों से असमानता व अन्याय के खिलाफ लगातार सामाजिक व राजनीतिक आंदोलनों से जुड़े रहे हैं। उनके लेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहे हैं। संवेदनशीलता और तीक्ष्ण दृष्टि के साथ लिखा गया यह पहला निबंध-संग्रह पाठक को हमारे समय की जटिलताओं से रूबरू कराता है।
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