*COD & Shipping Charges may apply on certain items.
Review final details at checkout.
₹192
₹250
23% OFF
Paperback
All inclusive*
Qty:
1
About The Book
Description
Author
जब हिमालय की घाटियाँ कोहरे में लिपट जाती हैं और मानसूनी बारिश पहाडिय़ों को सराबोर कर देती है तब दिन के समय कभी-कभी एक चिडिय़ा मेरे पास आती है-गहरे बैंगनी रंग की चहचहाती चिडिय़ा। वह खिडक़ी की चौखट पर बैठती है और मेरे साथ बाहर की ओर बारिश को देखती है। यह पुस्तक ऐसे अनेक छोटे-छोटे पलों को दर्ज करती है जो स्वयं के साथ ही इस प्राकृतिक जगत् दोस्तों और परिवार ही नहीं आने-जानेवालों को मिलाकर भी एक सामंजस्यपूर्ण जीवन की रचना करती है। इन पन्नों में हम एक जंगली बेर को फलते और देवदार के पेड़ों के बीच से चंद्रमा को निकलते देखते हैं। हम रेडस्टार्ट पक्षियों को चहचहाते और टिन की छत पर बारिश को ढोल बजाते सुनते हैं। हम क्षति के परिणामों और पुराने साथियों की सांत्वना को समझते हैं। नैतिक मूल्यों संवेदना पारस्परिकता समभाव और सद्ïभाव के साथ जीवन जीने के सरल-सुबोध उपाय बताती एक रोमांचक और प्रेरक पुस्तक।