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About The Book
Description
Author
रवींद्र किशोर सिन्हा की पत्रकारिता का मूलाधार राष्ट्रीयता का भाव है जिसकी गूँज आद्योपांत इस संग्रह के संकलित लेखों में सुनाई पड़ती है। उन्होंने भारत को भारत के नजरिए से समझने-समझाने का प्रयास किया है जो अत्यंत सराहनीय तो है ही बोधप्रद भी है। इस दृष्टि का अभाव जो मीडिया में दिखता है उसे ये लेख पूरा करते हैं। इस चिंतन का फलित रूप राजनीति समाज संस्कृति धर्म व्यवसाय विदेश नीति भाषा आदि अन्यान्य विषयों के निरूपण में दिखाई पड़ता है। इस संग्रह में कुल 66 लेख संकलित हैं। ये कालक्रम की दृष्टि से राजग-दो की अवधि में घटी घटनाओं के विषयों से संबंधित हैं लेकिन उसी तक सीमित नहीं हैं। हर लेख अपने आप में पूरा है। उस विषय को समग्रता से प्रस्तुत करता है। इसमें रोजमर्रा के जीवन में काम आने वाली पारिभाषिक शब्दावलियों की भरमार है। उन शब्दावलियों की परिभाषा भी बोधगम्य है। प्रस्तुत पुस्तक में निहित विचार-संपदा को पढ़कर न केवल पत्रकारिता के अध्येता की शोधवृत्ति पैनी होगी बल्कि वे एक मँझे हुए पत्रकार की लेखन-शैली से सीधे जुड़ा हुआ अनुभव करेंगे। इतना ही नहीं हर पाठक पुस्तक को ‘समय का सच’ मानेगा।