हरिशंकर परसाई हिंदी साहित्य में व्यंग्य विधा के कदाचित सर्वोत्तम रचनाकार हैं. उन्होंने आम व्यक्ति की दैनिक एवं सामान्य विसंगतियों पर अनेक व्यंग्य -बांण अपने तरकस से निकाले हैं और उनमें पाठकों को आंदोलित करने की क्षमता है और पाठक आन्तरिक भूल-सुधार के मार्ग पर अग्रसर हो उठने के लिये विवश हो उठता है. लेखक के व्यक्तिगत परिचय के कारण किताब और ज़्यादा रोचक हो गयी है .